शनि देव की आरती से मिलती है पाप और कष्ट से मुक्ति

शनि देव की आरती

शनि देव की आरती एक ऐसी पावन और दिव्य आरती है जिसे सुनने मात्र से इंसान के सारे कष्ट और पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख शांति का आगमन होता है और भाग्य उदय के प्रबल योग कुंडली में बनते हैं।

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बालाजी की आरती से दूर हो जाते है सब दुख और कष्ट

आज के हमारे इस अध्याय में हम आप सभी के साथ कर्मफल दाता शनि देव की आरती प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिसका उपयोग आप आरती के समय कर सकते हैं और यह हमारा खुद का अनुभव है कि जो भी इंसान सच्चे मन से शनि देव की पूजा अर्चना करता है और इस आरती का गुणगान करता है उसके सारे कष्ट और पाप समाप्त हो जाते हैं और शनिदेव की कृपा से उसके और उसके परिवार में सुख शांति का आगमन होता है।

शनि ग्रह की महिमा

शनि ग्रह की महिमा

जो कोई भी हिंदू रीति रिवाज से जुड़ा हुआ है या उसमें आस्था रखता है उसने अपने जीवन काल में कभी ना कभी इस बात को सुना या पढ़ा होगा इस शनि एक क्रूर ग्रह है और शनि की दशा चलने पर इंसान को काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है पर यह सत्य नहीं है, शनि देव कर्मफल दाता है और वह सिर्फ इंसान के कर्मों के अनुरूप ही उसे उसका फल प्रदान करते हैं। अगर किसी इंसान के कर्म बुरे हैं तो शनि देव उसे दंडित करते हैं और उसे उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं, पर अगर किसी इंसान के अच्छे कर्म हैं तो शनिदेव उस इंसान की किस्मत रातों-रात बदल देते हैं।

अगर आप चाहते हैं कि शनिदेव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे और आपको कभी भी जीवन में उनके क्रोध का सामना ना करना पड़े तो इन बातों का खास ख्याल रखें.

  1. अपने से बड़ों का कभी भी अपमान ना करें और ना ही उनसे कठोर वचन बोले।
  2. समय को व्यर्थ ना करें और समय का सदुपयोग करना सीखें।
  3. गरीबों की हमेशा मदद करें और अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य करते रहें।
  4. मूक प्राणियों को कभी भी बेवजह परेशान ना करें और हो सके तो उनकी सेवा करें।
  5. मांस मदिरा का सेवन ना करें।
  6. झूठ बोलने से बचें।
  7. अपने से कमजोर की हमेशा रक्षा करें।

शनि देव की आरती

शनि देव की आरती
सुनिए शनि देव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी
॥जय जय श्री शनिदेव॥

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी
॥जय जय श्री शनिदेव॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी
॥जय जय श्री शनिदेव॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी
॥जय जय श्री शनिदेव॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी
॥जय जय श्री शनिदेव॥

Shani Aarti

Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari
Suraj Ke Putra Prabhu Chaya Mehatari
॥Jai Jai Shri Shani॥

Shyam Ank Vakra Drisht Chaturbhurja Dhari
Nilamber Dhar Nath Gaj Ki Aswari
॥Jai Jai Shri Shani॥

Krit Mukut Sheesh Sahej Dipat Hain Lilari
Muktan Ki Mala Gale Shobhit Balihari
॥Jai Jai Shri Shani॥

Modak Mishtaan Pan Chadhat Hain Supari
Loha, Til, Urad Mahishi Ati Pyari
॥Jai Jai Shri Shani॥

Dev Danuj Rishi Muni Surat Nar Nari
Vishwanath Dharat Dhayan Sharan Hain Tumhari
॥Jai Jai Shri Shani॥

निष्कर्ष

तो यह थी शनि देव की आरती जिसका उपयोग आप शनिदेव की पूजा करते वक्त जरूर करें, एक बात का खास ख्याल रखें कि घर में कभी भी शनिदेव की मूर्ति या फोटो रखकर उनकी पूजा-अर्चना ना करें, अगर आपके घर के आसपास कोई शनि मंदिर ना हो तो आप चाहे तो किसी ज्योतिष से शनि यंत्र की स्थापना घर में करवा कर उसकी पूजा अर्चना करें और उस पूजा अर्चना करते वक्त इस आरती का गुणगान जरूर करें सच्चे मन से जो भी इंसान इस आरती का गुणगान करता है शनि महाराज की कृपा उस इंसान पर हमेशा बनी रहती है और उसके जीवन में शनि देव की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

शनिदेव आप सभी का कल्याण करे।

॥ॐ शं शनैश्चराय नमः॥

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