
Kuber ji ki aarti in hindi
आज के हमारे इस अध्याय में हम आप सभी के साथ भगवान श्री कुबेर की आरती (kuber ji ki aarti) साझा करने जा रहे हैं, जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगवान श्री कुबेर धन के देवता है और जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना करता है और इस आरती का गुणगान करता है भगवान श्री कुबेर उनसे अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और उनकी हर आर्थिक समस्या का समाधान करते हैं, पूरे भारतवर्ष में भगवान श्री कुबेर की पूजा मुख्यतः दीपावली के शुभारंभ पर आने वाला त्योहार धनतेरस पे की जाती है है, इस दिन यानी धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान श्री कुबेर और विघ्नविनाशक श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
यह भी पढ़े – श्री कुबेर के 6 शक्तिशाली मंत्र धन और सुख पाने के लिए
कैसे बने भगवान श्री कुबेर धन के देवता ?
भगवान श्री कुबेर की आरती की शुरुआत करने से पहले आइए जान लेते हैं कि भगवान श्री कुबेर (Kuber) धन के देवता कैसे बने, वास्तव में भगवान श्री कुबेर पूर्वजन्म में एक अत्यंत ही गरीब ब्राह्मण थे और उनका नाम था गुणानिधि, उन्होंने बचपन में अपने पिता से धर्म शास्त्र में शिक्षा प्राप्त की थी पर कुछ गलत संगत की वजह से उन्हें चोरी की लत पड़ गई थी, उनकी इसी बुरी आदतों से तंग आकर उनके पिताजी ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया था।
जिसके बाद उनकी हालत काफी बुरी हो गई थी और वे भोजन के लिए भिक्षा मांगने तक के लिए मजबूर हो गए थे। एक दिन उन्हें कहीं से शिक्षा प्राप्त नहीं हुई और भूख से परेशान होकर वो एक शिवालय पहुंचे जहां ब्राह्मण शिवलिंग की पूजा कर रहे थे और उन्हें भोग अर्पित कर रहे थे, मौका पाते ही गुणानिधि शिवलिंग के पास पहुंचे पर वहां इतना अंधेरा था कि उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
इसलिए उन्होंने शिवलिंग के सामने एक दीपक जलाने की कोशिश की पर दीपक बार-बार हवा से बुझ जा रहा था, अनेक प्रयासों के बाद उन्होंने दीपक जलाया और वहां से भोजन चोरी किया पर चोरी करते हुए एक ब्राह्मण ने उन्हें देख लिया और जोर जोर से चोर – चोर चिल्लाने लगा, गुणानिधि डर के मारे वहां से भागने लगे और इसी प्रयास में उनकी मौत हो गई पर अनजाने में ही सही उन्होंने महाशिवरात्रि व्रत का पालन किया और शिवलिंग के सामने सच्चे मन से दीप जलाया, इसी कठिन तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने इस गरीब को धन के देवता होने का वरदान दिया।
श्री कुबेर की आरती | Kuber ji ki aarti in hindi

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे
शरण पड़े भगतों के
भण्डार कुबेर भरे
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े
स्वामी भक्त कुबेर बड़े
दैत्य दानव मानव से
कई-कई युद्ध लड़े
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे
सिर पर छत्र फिरे
स्वामी सिर पर छत्र फिरे
योगिनी मंगल गावैं
सब जय जय कार करैं
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
गदा त्रिशूल हाथ में
शस्त्र बहुत धरे
स्वामी शस्त्र बहुत धरे
दुख भय संकट मोचन
धनुष टंकार करें
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने
स्वामी व्यंजन बहुत बने
मोहन भोग लगावैं
साथ में उड़द चने
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
बल बुद्धि विद्या दाता
हम तेरी शरण पड़े
स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के
सारे काम संवारे
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
मुकुट मणी की शोभा
मोतियन हार गले
स्वामी मोतियन हार गले
अगर कपूर की बाती
घी की जोत जले
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
यक्ष कुबेर जी की आरती
जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे
कहत प्रेमपाल स्वामी
मनवांछित फल पावे
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥
निष्कर्ष
तो यह थी भगवान श्री कुबेर की पावन आरती, kuber ji ki aarti. अगर आप भी अपने जीवन में आर्थिक समस्या से परेशान हैं या आपके घर में धन का आगमन नहीं हो रहा है तो हमारा आप सभी से यही आग्रह होगा कि नित्य भगवान श्री कुबेर की पूजा करें और उनकी पूजा अर्चना करते वक्त इस पावन आरती का गुणगान जरूर करें।
धन्यवाद
अन्य भक्तिमय आरती
श्री हनुमान जी की प्रसिद्द आरती
ॐ जय अम्बे गौरी – आरती माँ अम्बे की
भगवान शिव को सबसे प्रिय है ये आरती
श्री गणेश जी की सबसे प्रसिद्ध आरती
- Aarti (14)
- Beej mantra (2)
- Hanuman mantra (7)
- Kala Jadu (2)
- Safal Totke (65)
- Shabar mantra (4)
- Uncategorized (1)
- Vashikaran Mantra (45)
- Vashikaran Totke (6)
- Vastu Tips (2)
- ज्योतिष (16)
- मंत्र संग्रह (23)