Shani mantra – जीवन में खुशहाली और सफलता पाने के लिए शनि देव के कुछ शक्तिशाली मंत्र।
हिंदू धर्म में शनि देव को सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक माना जाता है जिनकी पूजा मनुष्य अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों को दूर करने के लिए करता है । शनि का वास्तविक अर्थ होता है धीमी गति से चलने वाला । पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि देव मनुष्य के कर्मों का हिसाब किताब करते हैं । (Shani Mantra)
शनि देव सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं इसी वजह से उन्हें छाया पुत्र के नाम से भी जाना जाता है, वह मृत्यु के देवता यम के सौतेले भाई भी है ।
क्यों कहा जाता है शनि देव को “कर्मफलदाता”
शनि देव को कर्मों और न्याय का देवता माना गया है, समस्त नौ ग्रहों के समूह में शनि को सबसे ज्यादा क्रूर ग्रह माना गया है, परंतु यह सत्य नहीं है, शनिदेव केवल बुरे कर्म करने पर ही मनुष्य को उनके कर्मों के हिसाब से अनेक तरह से दंडित करते हैं जो धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल, शनि की साढ़ेसाती या शनि की क्रूर दृष्टि के नाम से जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य को सांसारिक जीवन में अगर शनि महाराज दंडित करते हैं तो उन्हें यह दंड शारीरिक, मानसिक या आर्थिक परेशानियों के रूप में मिलता है ।
सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की संतान शनिदेव अगर किसी मनुष्य पर मेहरबान हो जाए तो उसका पूरा जीवन धन्य ध्यान से परिपूर्ण हो जाता है । अगर ज्योतिष शास्त्रों की माने तो शनि देव एक ही राशि में करीब 30 दिन तक रहते हैं शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी भी माने जाते हैं। स्वयं भगवान भोलेनाथ ने शनि देव को समस्त नौ ग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है।
Shani mantra का महत्व –
यही वजह है कि कोई भी मनुष्य अगर किसी भी रुप से शनि की दशा से पीड़ित है तो न्यायधीश शनि देव का ध्यान कर उनसे विशेष मंत्र / Shani mantra से क्षमा मांगता है तो शनि देव की कृपा से उसके सारे रुके हुए बिगड़े काम, जीवन में आने वाले कष्ट, आर्थिक परेशानियां, नौकरी व्यापार में नुकसान पूरी तरीके से समाप्त कर देते है ।
तो आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि उस शनिदेव की पूजा करते समय किन किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए और किस प्रकार से शनिदेव की पूजा करनी चाहिए ।
शनिदेव की पूजा करते समय इन बातों का खास ध्यान रखें –
- सर्वप्रथम जो भी शनिदेव की पूजा करना चाहता है उसका व्यवहार और आचरण अच्छा होना चाहिए।
- कभी भी शनिदेव की पूजा शनि मूर्ति के सामने ना करें।
- शनिदेव की पूजा या अर्चना उसी मंदिर में करें जहां शनिदेव शीला रूप में स्थापित हो।
- अगर शीला रूप में स्थापित कोई मंदिर ना हो तो शनि देव के प्रतीक के रूप में शमी या पीपल के वृक्ष की आराधना और पूजा करनी चाहिए।
- हर हिंदू देवी देवताओं के समान शनिदेव के समक्ष दीपक जलाना सबसे श्रेष्ठ माना गया है पर दीपक में ज्यादा तेल उड़ेल कर तेल बर्बाद नहीं करना चाहिए इससे शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं।
- अपने से बड़े बुजुर्गों के लिए कभी भी अपने मन में कोई बुरा विचार या उनका अपमान ना करें ऐसा करने से भी शनि देव क्रोधित हो जाते हैं।
शनिदेव की पूजा किस प्रकार से करें –
- शनिवार के दिन सबसे पहले भगवान भोलेनाथ या कृष्ण या हनुमानजी की उपासना करें।
- उसके बाद संध्याकाल में शनि देव के मंत्रों / shani mantra का श्रद्धा पूर्वक जाप करें।
- शमी के वृक्ष या पीपल के वृक्ष की जड़ में जल डालें और उसके बाद वृक्ष के समीप एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनिवार को मंत्र उच्चारण और पूजा के बाद किसी भी गरीब को एक समय का भोजन अवश्य दें
- अगर संभव हो तो शनिवार के दिन किसी भी काले कुत्ते को या गाय को एक रोटी खिलाएं इससे शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
- और सबसे महत्वपूर्ण इस दिन किसी से भी बुरा व्यवहार धोखेबाजी या किसी का भी तिरस्कार ना करें और तामसिक आहार ग्रहण ना करें।
शनिदेव का मूल मंत्र – Shani mantra
इसे शनिदेव का मूल मंत्र / shani mantra भी कह सकते हैं और शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक शनि देव या शनि ग्रह की पीड़ा जैसे कि शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या अन्य किसी भी शनि दशा से परेशान हैं तो उस जातक को नियमित तौर पर इस मंत्र का हर शनिवार को शनि महाराज का पूजा करने के बाद 108 बार जप करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति हर शनिवार को इस मंत्र का 108 बार जप करता है शनि महाराज उस पर प्रसन्न होते हैं और उसके जीवन में आने वाले हर कष्ट और कठिनाइयों को दूर कर उसके जीवन को खुशहाल बनाते हैं।
“शनिदेव का मूल मंत्र”
|| ॐ शं शनैश्चराय नमः ||
शनिदेव का पौराणिक मंत्र – Shani mantra
यह शनि देव का एक पौराणिक मंत्र है मान्यताओं के अनुसार शनिदेव और उनकी पत्नियों के नाम के साथ उनका ध्यान कर कर रोज पाठ करने से शनिदेव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड संम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
शनिदेव के 10 नामों का पाठ – Shani mantra
शनि महाराज की कृपा पाने के लिए शनिदेव के 10 नामों का पाठ करना भी अत्यधिक लाभकारी माना गया है जो भी मनुष्य नित्य शनिदेव के इन 10 नामों का पाठ करता है उसके जीवन में कभी भी कोई भी पीड़ा या कष्ट नहीं आती।
कोणस्थः पिंगलों वभ्रूः कृष्णों रोद्रान्तकौ यम सौरि शनैश्चरो मन्द पिप्लादीन संस्तुतः।
एतामि दश नामाति प्रातः उत्थाय यः पकेृत शनैश्चरकृता पीड़ा न कदाचिद् भविष्यति।।
शनि साधना संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें –
जब कभी भी आप शनि जी की साधना कर रहे हो तो शनि साधना संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों का अवश्य ध्यान रखें।
जिस भी शनिवार से आपने साधना प्रारंभ की है उसी शनिवार को ही उस साधना का समापन करें। शनि साधना में नीले या श्याम वर्ण की सामग्री प्रयुक्त होती है और लोहा, सरसों का तेल काले उड़द के दाल और काला वस्त्र इनका दान होता है। शनि साधना में मंत्रों के जाप के लिए हमेशा शमी या रुद्राक्ष की माला का ही उपयोग उत्तम माना गया है।
जो भी जातक शनिवार का व्रत करते हैं उन्हें पीपल के वृक्ष के चारों और कच्चा सूत 7 बार लपेटना चाहिए और कच्चे सूत को लपेट ते समय मन ही मन शनि देव जी का कोई भी मंत्र का जाप करते रहें उसके पश्चात पीपल के वृक्ष को धूप दीप फूल आदि से पूजन करें उसके बाद अपनी पूजा या साधना प्रारंभ करें | शनिवार के दिन घर में कोई भी शनि व्रत की कथा या शनि स्त्रोत्र का पाठ कर सकते हैं और हो सके तो प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष या शमी के वृक्ष के नीचे सरसों का तेल अवश्य जलाएं उसके पश्चात हो सके तो उस वृक्ष को शुद्ध दूध धूप आदि अर्पित करें।
जन्म कुंडली में शनि अनुकूल ना हो तो –
अगर किसी मनुष्य के जन्म कुंडली में शनि अनुकूल ना हो एवं नीच का हो या निर्बल हो तो ऐसे जातक को पुष्य, अनुराधा, भाद्रपद नक्षत्र में शनिवार को 4 कैरेट का नीलम विधि अनुसार मध्यम उंगली में धारण करना चाहिए इससे अत्यधिक लाभ होता है किंतु नीलम धारण करने के बाद एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि अपने आचरण को शुद्ध रखें और किसी के साथ अनाचार या अभद्र व्यवहार ना करें।
शनि पीड़ा से मुक्ति के कुछ उपाय और टोटके –
शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए शनिवार को काले कपड़े में भीगे हुए काले चने, लोहे का टुकड़ा कच्चा कोयला इन सब को एक साथ बांधकर किसी भी बहते पानी में प्रवाह कर दें इस विधि को प्रत्येक शनिवार एक वर्ष तक करे ऐसा करने से शनि के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं ।
प्रत्येक शनिवार काले कुत्ते को तेल में चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं।
हो सके तो हर शनिवार गाय को तीन केले या एक रोटी खिलाएं।
हर शनिवार को बंदरों को काले चने, गुड़ या केला खिलाएं।
किसी भी जरूरतमंद को शनिवार के दिन काले उड़द, काले तिल, कंबल, काले जूते या किसी भी काले वस्तु का दान करें।
प्रत्येक शनिवार को किसी भी शनि मंदिर जाकर शनि महाराज का तिल के तेल से अभिषेक करें।
अपने घर के आंगन में शमी का वृक्ष अवश्य लगाएं और हर शनिवार उनकी पूजा करें।
अपने घर के पूजा गृह मैं शनि यन्त्र की स्थापना विधिपूर्वक करे ।
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