पुष्पांजलि मंत्र – भगवन को प्रसन्न करने का मंत्र | Pushpanjali mantra

जानिए पुष्पांजलि मंत्र का महत्व

Pushpanjali mantra
Pushpanjali mantra

आज हम हमारे समस्त पाठकों के लिए पुष्पांजलि मंत्र, pushpanjali mantra के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर आए हैं. पुष्पांजलि मंत्र के बारे में आप में से कई लोगों ने कई बार सुना होगा पर क्या आप जानते हैं कि पुष्पांजलि मंत्र क्या होता है, हमारे हिंदू धर्म में पुष्पांजलि मंत्र का काफी अधिक महत्व है, आप pushpanjali mantra के महत्व को इसी बात से समझ सकते हैं कि किसी भी शुभ कार्य किसी भी मंत्र उच्चारण को आरंभ करने से पहले या किसी भी देवी देवता के पूजा को आरंभ करने से पहले पुष्पांजलि मंत्र का जाप करना अनिवार्य है।

पुष्पांजलि का अर्थ काफी सरल होता है पुष्पांजलि का अर्थ होता है पुष्पों से भरी यानी फूलों से भरी हुई एक अंजलि या टोकरी जिसे हम किसी भी देव या देवी को या किसी भी महापुरुष को अपने पूरे सच्चे मन से अर्पित करते हैं और अपना सम्मान उनको प्रकट करते हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी शुभ धार्मिक कार्य या अनुष्ठान या किसी हवन पूजन या किसी भी प्रकार के मंत्रों के उच्चारण से पहले पुष्पांजलि मंत्र का जाप करना अनिवार्य है उसके बाद ही किसी भी प्रकार की हवन पूजन, अनुष्ठान, गृह प्रवेश, विवाह या देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है।

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पुष्पांजलि मंत्र – Pushpanjali mantra

Pushpanjali mantra
Pushpanjali mantra

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे
स मस कामान् काम कामाय मह्यं
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय
महाराजाय नम: ॥

ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात्
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ॥

ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति
मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥

पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ, Meaning of Pushpanjali mantra

पुष्पांजलि मंत्र की प्रथम पंक्ति का अर्थ

समस्त देवो ने यज्ञ के द्वारा यज्ञ रूपी देव प्रजापति का स्मरण किया और उनकी पूजा अर्चना की। देवों के यज्ञ और उनके तत्सम उपासना से वे प्रारंभिक धर्म विधि बने। जहां पहले देवता निवास करते थे वह स्थान यज्ञ आचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता को प्राप्त करते हैं।

पुष्पांजलि मंत्र की दूसरी पंक्ति का अर्थ

हमारे जीवन की हर परिस्थिति को अनुकूल करने वाले राजाओं के राजा श्री कुबेर का हम स्मरण करते हैं और उनका अभिवादन करते हैं भगवान श्री कुबेर मुझ कामानार्थी की हर मनोकामना को पूर्ण करने का आशीर्वाद प्रदान करें।

पुष्पांजलि मंत्र की तीसरी पंक्ति का अर्थ

हमें आशीर्वाद दें कि हमारा राज्य सर्व कल्याणकारी हो हमारा राज्य हर सुख सुविधाओं से परिपूर्ण हो हमारे राज्य में लोकराज्य हो हमारा राज्य निश्चल और लोग रहित हो हमारा राज्य एक ऐसा विशेष राज्य हो जिसकी तुलना ना की जा सके, हमें आशीर्वाद दें कि जहां तक समुद्र फैला हो हमारा राज्य दीर्घायु अखंड राज्य हो अपना आशीर्वाद दें कि हमारा राज्य सृष्टि के अंत तक सबसे सुरक्षित राज्य हो।

पुष्पांजलि मंत्र की चौथी पंक्ति का अर्थ

इस पंक्ति में हम स्वयं और अपने राज्य के कीर्ति के गुणगान के लिए श्लोक का उच्चारण करते हैं और यह कामना करते हैं कि आज हमें इस मंत्र के जाप करने से आशीर्वाद मिले कि हमारा जीवन धन-धान्य और सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो।

निष्कर्ष

तो यह थी पुष्पांजलि मंत्र की महिमा हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई पुष्पांजलि मंत्र, pushpanjali mantra की विस्तृत जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर इस मंत्र को लेकर अब भी आपके मन में कोई संदेह या सवाल है तो आप निसंकोच होकर हमसे संपर्क कर सकते हैं हम आपके हर सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे।

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