बगलामुखी बीज मंत्र से करो हर मनोकामना पूरी, बगलामुखी मंत्र

बगलामुखी बीज मंत्र, महाशक्तिशाली मंत्र जो बदल देगा आपकी जिंदगी

माँ बगलामुखी मंदिर
माँ बगलामुखी मंदिर

बगलामुखी बीज मंत्र – बगला शब्द संस्कृत भाषा के “वल्गा” से लिया गया है, जिसका हिंदी मैं अर्थ होता है दुलहन, अत: मां बगलामुखी के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है। मां बगलामुखी जी को आठवीं महाविद्या भी कहा जाता है । इनका संसार मैं प्रकट होने का स्थल गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र को माना जाता है।

बगलामुखी वशीकरण मंत्र साधना करने की संपूर्ण विधि

शुक्र बीज मंत्र के फायदे । मंत्र जो बनाये आपके जीवन को सौभाग्यपूर्ण

मां बगलामुखी हल्दी रंग के जल से प्रकट हुई थी हल्दी का रंग पीला होने की वजह से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। मां बगलामुखी के कई स्वरूप हैं।बगलामुखी बीज मंत्र महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से हर प्रकार की विशेष सिद्धि साधक को प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं।

बगलामुखी मंत्र के फायदे –

मां बगलामुखी को स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री भी कहा जाता है अर्थात मां बगलामुखी की जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है मां उसको भय से दूर करके उसके शत्रुओं का नाश करती है और उसके आसपास की बुरी शक्तियों को भी उससे दूर रखती है। मां को पीले रंग अत्यधिक प्रिय हैं इसलिए जो भी जातक उनकी पूजा आराधना करता है या साधना करता है उसे पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।

मां बगलामुखी दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या है। मां संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है, मां बगलामुखी बीज मंत्र की आराधना और पूजा से साधक को वाक् सिद्धि, शत्रु नाश, वाद विवाद में सफलता और साधक के जीवन में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती है।

परिवार की दरिद्रता दूर करने के लिए बगलामुखी मंत्र –

|| ॐ श्री ह्रीं ऐं भगवती बगले में श्रियं देहि-देहि स्वाहा ||

मां बगलामुखी के इस मंत्र का जप करने से साधक के परिवार में कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। इस मंत्र का जप साधक को संकल्प लेकर लगातार नौ दिनों तक करना पड़ता है और 9 दिनों तक साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है और संभव हो तो भूमि पर ही शयन करें। 9 दिनों तक अपने सर के बाल और हाथ पैर के नाखून भी ना कांटे। मंत्रों का जाप सुबह 4:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच ही करना है।

जाप शुरू करने से पहले मां बगलामुखी के चित्र के सामने गाय के घी के दीपक जलता रहना चाहिए और पूरे 9 दिनों तक साधक को जप करते समय साफ-सुथरे धुले हुए पीले वस्त्र ही धारण करने हैं। मंत्र जप के आखिरी दिन यानी नौवें दिन हवन का आयोजन करें जिसमें हवन के लिए गाय का घी, आम की लकड़ी या पीपल की लकड़ी, पलाश, गूलर का ही प्रयोग करें और 108 बार आहुति दें।

जो भी साधक 9 दिनों तक मां के इस मंत्र का सही तरह से उच्चारण करता है और हवन करता है उसके घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती है और जीवन में सफलताएं प्राप्त होती जाती है।

समस्त मनोकामना पूर्ति हेतु मां बगलामुखी का मंत्र –

ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्री बागलानने
मम रिपून नाशय नाशय
ऐश्वर्याणि देहि – देहि
मनोवांछित कार्यं साधय – साधय
ह्रीं फट स्वाहा ||

यह इतना शक्तिशाली और दिव्य मां बगलामुखी का मंत्र है कि अगर सही विधि विधान से किया जाए तो साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां बगलामुखी मंत्र का जप साधक को रात्रि के समय करना चाहिए रात्रि को 9:00 बजे के पश्चात आप इस दिव्य मंत्र का जाप कर सकते हैं हर रोज एक माला का जाप करना है लगातार 40 दिनों तक ऐसा करने से साधक के समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। मां बगलामुखी के इस मंत्र का जाप करते समय हल्दी के माला का ही प्रयोग करें और पीले वस्त्र ही धारण करें मंत्र, जप करते समय मां बगलामुखी का सिद्धि यंत्र को सामने रखकर ही जाप करना श्रेष्ठ माना गया है और इससे प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

मां बगलामुखी बीज मंत्र –

बगलामुखी बीज मंत्र
बगलामुखी बीज मंत्र

“ह्रीं”

मां बगलामुखी के बीज मंत्र को एकाक्षर मंत्र भी कहा जाता है क्योंकि यह मंत्र मात्र एक अक्षर का है “ह्रीं”। मां बगलामुखी की कोई भी साधना इसी “ह्रीं” बीज मंत्र से प्रारंभ होती। शास्त्रों के अनुसार हर देवी देवता के प्राण बीज मंत्र में ही होते हैं जैसे कि जिस प्रकार बिना किसी बीज के वृक्ष की कल्पना नहीं की जा सकती उसी प्रकार बिना बीज मंत्र के कोई भी देवी देवता की साधना सफल नहीं हो सकती। इसलिए मां बगलामुखी बीज मंत्र के जप के बिना उनकी साधना कभी पूर्ण नहीं हो सकती।

बगलामुखी बीज मंत्र के जप के लिए सबसे पहले गुरुदेव से दीक्षा लेनी चाहिए उसके पश्चात इस बीच मंत्र का सवा लाख बार जप करना चाहिए उसके बाद नियमित तौर पर इस मंत्र का 11 या 21 माला जप करना चाहिए। बीज मंत्र का जप करते समय हल्दी की माला का उपयोग करें और मां बगलामुखी यंत्र और उनके चित्र या कोई मूर्ति अपने सामने अवश्य रखें और एक घी का दीपक अवश्य जलाएं।

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